धामी सरकार का बड़ा एक्शन: Uttarakhand में धर्मांतरण कराने पर अब सीधी उम्रकैद और 10 लाख का जुर्माना।

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Uttarakhand का नया धर्मांतरण-विरोधी कानून: जबरन धर्म परिवर्तन पर अब आजीवन कारावास और भारी जुर्माना

 

देहरादून: मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में उत्तराखंड कैबिनेट ने “Uttarakhand धर्म स्वतंत्रता (संशोधन) विधेयक, 2025” को मंजूरी दे दी है, जिससे राज्य में धर्मांतरण-विरोधी कानून पहले से कहीं ज्यादा सख्त हो गया है. इस नए विधेयक का मुख्य उद्देश्य जबरन, धोखाधड़ी या किसी भी तरह के प्रलोभन से होने वाले धार्मिक धर्मांतरण पर पूरी तरह से रोक लगाना है.

 

  • कानून के प्रमुख प्रावधान

इस संशोधित विधेयक में दोषियों के लिए बेहद कठोर दंड का प्रावधान किया गया है, जो इस प्रकार हैं:

    • आजीवन कारावास का प्रावधान: कानून के सबसे गंभीर उल्लंघन के मामलों में, जैसे कि बल, धमकी, तस्करी या शादी का झांसा देकर धर्म परिवर्तन कराने पर, दोषियों को 20 साल से लेकर आजीवन कारावास तक की सजा हो सकती है. इसके साथ ही कम से कम 10 लाख रुपये का भारी जुर्माना भी लगाया जाएगा.

    • अन्य मामलों में सजा:

      • सामान्य मामलों में जबरन धर्मांतरण के लिए 3 से 10 साल की कैद होगी.

      • यदि धर्मांतरण किसी नाबालिग, महिला, या अनुसूचित जाति/जनजाति के व्यक्ति का कराया जाता है, तो सजा 5 से 14 साल की कैद होगी.

      • धर्म छिपाकर या गलत पहचान बताकर शादी करने पर 3 से 10 साल की जेल और 3 लाख रुपये का जुर्माना होगा.

      • अवैध धर्मांतरण के लिए विदेशी फंडिंग का इस्तेमाल करने पर 7 से 14 साल की जेल और न्यूनतम 10 लाख रुपये का जुर्माना लगाया जाएगा.

  • क्या-क्या माना जाएगा अपराध?

नए कानून ने अपराध के दायरे को और भी व्यापक बना दिया है:

    • “प्रलोभन” की विस्तृत परिभाषा: अब किसी को उपहार देना, नकद या वस्तु के रूप में लाभ पहुंचाना, रोजगार या मुफ्त शिक्षा का वादा करना, शादी का झांसा देना, किसी के धार्मिक विश्वास को ठेस पहुंचाना या किसी अन्य धर्म का महिमामंडन करना “प्रलोभन” माना जाएगा और यह एक अपराध होगा.

    • डिजिटल माध्यमों पर प्रतिबंध: सोशल मीडिया, मैसेजिंग ऐप या किसी भी अन्य ऑनलाइन प्लेटफॉर्म का उपयोग करके धर्मांतरण के लिए उकसाना या प्रचार करना एक दंडनीय अपराध बना दिया गया है.

  • पीड़ितों के लिए सुरक्षा और सहायता

यह विधेयक अवैध धर्मांतरण के पीड़ितों को भी सुरक्षा प्रदान करता है. इसमें पीड़ितों के लिए सुरक्षा, पुनर्वास, चिकित्सा देखभाल और यात्रा एवं रखरखाव के खर्च का प्रावधान किया गया है. इसके अलावा, अदालत दोषी व्यक्ति पर लगाए गए जुर्माने के अतिरिक्त पीड़ित को 5 लाख रुपये तक का मुआवजा देने का आदेश दे सकती है.

  •  Uttarakhand सरकार का दृष्टिकोण

 Uttarakhand मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस संशोधन को राज्य के सामाजिक ताने-बाने की रक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण कदम बताया है. उन्होंने कहा कि उत्तराखंड “देवभूमि” है और यहां अवैध धर्मांतरण जैसी गतिविधियां राज्य के लिए हानिकारक हैं. सरकार का कहना है कि यह कानून नागरिकों के धार्मिक अधिकारों की रक्षा करेगा और धोखाधड़ी या दबाव से होने वाले धर्मांतरण को रोककर सामाजिक सद्भाव बनाए रखेगा

 

 

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