Trump और Putin की अलास्का में मुलाकात
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच 15 अगस्त, 2025 को अलास्का में एक बैठक होने वाली है। इस बैठक की घोषणा खुद राष्ट्रपति ट्रंप ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘ट्रुथ सोशल’ पर की। यह 2021 के बाद अमेरिका और रूस के बीच पहला शिखर सम्मेलन होगा।
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बैठक का मुख्य एजेंडा
इस उच्च-स्तरीय बैठक का मुख्य उद्देश्य यूक्रेन में चल रहे युद्ध को समाप्त करने के तरीकों पर चर्चा करना है। राष्ट्रपति ट्रंप ने उम्मीद जताई है कि इस बातचीत से शांति समझौते का रास्ता निकल सकता है। उन्होंने यह भी संकेत दिया है कि इस शांति सौदे में दोनों पक्षों को लाभ पहुंचाने वाले क्षेत्रीय आदान-प्रदान शामिल हो सकते हैं।
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प्रमुख बिंदु
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त्रिपक्षीय वार्ता का विचार: Trump ने पहले अमेरिका, रूस और यूक्रेन के राष्ट्राध्यक्षों के बीच एक त्रिपक्षीय वार्ता का विचार रखा था, लेकिन रूस ने यूक्रेनी राष्ट्रपति वलोडिमिर ज़ेलेंस्की के साथ सीधी बैठक पर कोई संकेत नहीं दिया है। यह बैठक केवल ट्रंप और पुतिन के बीच होगी, इसमें ज़ेलेंस्की शामिल नहीं होंगे।
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भारत का रुख: भारत ने इस प्रस्तावित शिखर वार्ता का स्वागत किया है और कहा है कि इससे यूक्रेन में चल रहे संघर्ष को समाप्त करने और शांति की संभावनाएं खोलने में मदद मिल सकती है। विदेश मंत्रालय ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इस संदेश को दोहराया कि “यह युद्ध का युग नहीं है” और कहा कि भारत इस कूटनीतिक प्रयास का पूरा समर्थन करता है।
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पृष्ठभूमि: यह बैठक ऐसे समय में हो रही है जब रूस और यूक्रेन के बीच शांति की शर्तें अभी भी बहुत अलग हैं। ट्रंप ने पहले रूस को युद्धविराम के लिए 8 अगस्त तक की समय सीमा दी थी। हालांकि, रूस का कहना है कि वह उन्हीं शर्तों पर युद्धविराम के लिए तैयार है जो उसने पहले रखी थीं।
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शांति समझौते की संभावित शर्तें
मीडिया रिपोर्ट्स और दावों के अनुसार, यह बैठक इसलिए हो रही है क्योंकि Trump ने Putin की कई शर्तें मान ली हैं. समझौते की संभावित रूपरेखा में निम्नलिखित बिंदु शामिल हो सकते हैं:
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युद्धविराम: दोनों देश युद्धविराम पर सहमत होंगे.
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क्षेत्रीय नियंत्रण: ज़मीनी हकीकत के आधार पर रूस का जिन क्षेत्रों पर कब्ज़ा है, वह बरकरार रहेगा. हालांकि, इसे कानूनी मान्यता नहीं दी जाएगी, लेकिन रूस इन क्षेत्रों पर लंबे समय तक, संभवतः 99 साल तक, बिना किसी चुनौती के बना रह सकता है.
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प्रतिबंधों में ढील: रूसी गैस और तेल के आयात को मंजूरी दे दी जाएगी.
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नाटो का विस्तार नहीं: अमेरिका इस बात की गारंटी देगा कि भविष्य में नाटो का विस्तार नहीं होगा.
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यह कहा जा रहा है कि ट्रंप के विशेष दूत द्वारा मॉस्को में पुतिन को ये प्रस्ताव दिए जाने के बाद ही रूसी राष्ट्रपति बातचीत के लिए तैयार हुए हैं.
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यूक्रेन की प्रतिक्रिया
यूक्रेन इस वार्ता से खुश नहीं है क्योंकि उसे इसमें शामिल नहीं किया गया है.
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राष्ट्रपति वलोडिमिर ज़ेलेंस्की ने इस बात पर नाराज़गी जताई है कि यूक्रेन के भविष्य पर चर्चा उसके बिना हो रही है.
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ज़ेलेंस्की को डर है कि इस समझौते के तहत उन्हें अपने क्षेत्र छोड़ने के लिए मजबूर किया जा सकता है और उन्हें कोई सुरक्षा गारंटी भी नहीं मिलेगी, साथ ही नाटो में शामिल होने की संभावना भी समाप्त हो जाएगी.
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ज़ेलेंस्की के विरोध पर Trump ने निराशा व्यक्त करते हुए कहा कि “कीव को युद्ध शुरू नहीं करना चाहिए था”.
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भारत का रुख
भारत ने इस शिखर वार्ता का आधिकारिक तौर पर स्वागत किया है. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि यह बैठक यूक्रेन में संघर्ष को समाप्त करने और शांति की संभावनाओं को बढ़ाने का अवसर प्रदान करती है. भारत ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इस संदेश को दोहराया कि “यह युद्ध का युग नहीं है” और कहा कि वह इस कूटनीतिक प्रयास का समर्थन करने के लिए तैयार है.
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पृष्ठभूमि
यह बैठक ऐसे समय में हो रही है जब दोनों देशों के बीच तनाव भी बना हुआ है. ट्रंप ने रूस को शांति समझौते पर पहुँचने के लिए 8 अगस्त तक की समय सीमा दी थी, लेकिन रूस ने कहा है कि वह अपनी पहले से तय शर्तों पर ही बातचीत करेगा. मार्च 2025 में भी दोनों नेताओं के बीच फोन पर लंबी बातचीत हुई थी, जिसके बाद रूस यूक्रेन के ऊर्जा ठिकानों पर हमले 30 दिनों के लिए रोकने पर सहमत हुआ था.
