डोनाल्ड ट्रंप ने भारत को क्यों बनाया निशाना | भारत के रणनीतिक सहयोग पर ट्रंप का बड़ा हमला! रूस से रिश्तों को लेकर जताई कड़ी आपत्ति , व्यापार घाटा ?”
वॉशिंगटन, 7 अगस्त 2025:
अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति और रिपब्लिकन पार्टी के प्रमुख चेहरा डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर भारत को अपने वैश्विक व्यापार एजेंडे का हिस्सा बनाते हुए कटघरे में खड़ा किया है। ट्रंप ने हाल ही में दिए एक इंटरव्यू में सवाल उठाया कि भारत को रूस से इतने घनिष्ठ संबंध क्यों रखने दिए जाएं, जबकि अमेरिका यूक्रेन युद्ध को खत्म करने के लिए रूस पर दबाव बना रहा है।
ट्रंप ने भारत को लेकर दो प्रमुख मुद्दे उठाए:
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भारत का अमेरिका के साथ बड़ा व्यापार अधिशेष (Trade Surplus)
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रूस के साथ भारत के रणनीतिक संबंध
व्यापार घाटा बना चिंता का विषय
डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि भारत हर साल अरबों डॉलर का सामान अमेरिका को बेचता है, जबकि बदले में भारत अमेरिका से उतना नहीं खरीदता। उन्होंने इस व्यापार असंतुलन को “अस्वीकार्य” बताया और संकेत दिए कि अगर वे दोबारा राष्ट्रपति बनते हैं तो भारत पर नए टैरिफ या व्यापारिक शर्तें लागू की जा सकती हैं।
रूस से नजदीकी पर सवाल
ट्रंप ने यह भी कहा कि भारत का रूस के साथ हथियारों और ऊर्जा के क्षेत्र में गहरा संबंध अमेरिका की रणनीति के खिलाफ है। ट्रंप का मानना है कि अगर वैश्विक शक्तियां मिलकर रूस पर दबाव बनाएं, तो यूक्रेन युद्ध का समाधान जल्द हो सकता है। उन्होंने इशारा किया कि भारत को अमेरिका के साथ खड़ा होना चाहिए, न कि रूस के साथ।
भारत की स्थिति
भारत ने अब तक रूस-यूक्रेन युद्ध में संतुलित रुख अपनाया है। भारत ने एक ओर जहां शांति की अपील की है, वहीं रूस से व्यापारिक और सामरिक संबंध भी बनाए रखे हैं। भारत का तर्क है कि वह अपने राष्ट्रीय हितों के अनुसार निर्णय लेता है और किसी ब्लॉक पॉलिटिक्स में शामिल नहीं होता।
निष्कर्ष
डोनाल्ड ट्रंप का यह बयान बताता है कि अगर वे 2024 या उसके बाद फिर से सत्ता में आते हैं, तो भारत-अमेरिका व्यापार संबंधों में नई चुनौतियां सामने आ सकती हैं। वहीं, भारत को रूस के साथ अपनी रणनीति को लेकर भी अमेरिका के दबाव का सामना करना पड़ सकता है।
अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत के साथ व्यापार घाटे और रूस से नजदीकी संबंधों को लेकर कड़ा रुख अपनाया है। जानिए उन्होंने भारत पर क्यों साधा निशाना।
डोनाल्ड ट्रंप का भारत को लेकर सख्त बयान आने वाले अमेरिकी चुनावों की तैयारी का हिस्सा भी हो सकता है।
भारत को अपने रणनीतिक हितों की रक्षा करते हुए अमेरिका और रूस के बीच संतुलन बनाए रखना होगा — क्योंकि दोनों ही भारत के लिए अहम हैं।
🔍 भारत पर ट्रंप के आरोप: गहराई से समझें मामला
1️⃣ भारत-अमेरिका व्यापार घाटा: ट्रंप की पुरानी चिंता
डोनाल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति काल (2017–2021) के दौरान भी भारत के साथ व्यापार घाटे को लेकर उनकी नाराज़गी जगजाहिर थी। अमेरिका का कहना है कि भारत हर साल अरबों डॉलर का सामान अमेरिका को निर्यात करता है, जैसे कि दवाइयाँ, टेक्सटाइल, स्टील उत्पाद, और आईटी सेवाएं, जबकि भारत अमेरिका से अपेक्षाकृत कम आयात करता है।
2024 तक भारत का अमेरिका के साथ व्यापार अधिशेष लगभग 40 अरब डॉलर के आसपास था। ट्रंप इस घाटे को “अनुचित” बताते हैं और इसे संतुलित करने के लिए आयात पर टैरिफ (शुल्क) लगाने की धमकी देते रहे हैं।
2️⃣ भारत-रूस संबंध: अमेरिका की नजर में संदेह की दृष्टि
भारत और रूस दशकों से रणनीतिक साझेदार रहे हैं। भारत:
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अपने रक्षा उपकरणों का लगभग 60-70% रूस से खरीदता है।
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रूस से सस्ते दामों पर कच्चा तेल भी आयात कर रहा है।
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यूक्रेन युद्ध के बाद भी रूस के खिलाफ कोई सख्त नीति नहीं अपनाई।
अमेरिका चाहता है कि वैश्विक शक्तियां मिलकर रूस पर दबाव बनाएं ताकि यूक्रेन युद्ध का हल निकले। लेकिन भारत ने हमेशा “रणनीतिक स्वायत्तता” की नीति अपनाई है और कहा है कि वह अपने राष्ट्रीय हितों के अनुसार निर्णय लेता है।
3️⃣ ट्रंप की विदेश नीति का रुख
ट्रंप का रुख “अमेरिका फर्स्ट” रहा है। वे व्यापार समझौतों, विदेश नीति और वैश्विक गठबंधनों को अमेरिका के फायदे के हिसाब से देखते हैं।
भारत को लेकर ट्रंप का ताज़ा बयान संकेत देता है कि अगर वे दोबारा राष्ट्रपति बनते हैं, तो:
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भारत पर व्यापारिक दबाव बनाया जा सकता है।
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रूस से नजदीकी खत्म करने का राजनीतिक दबाव भी डाला जा सकता है।
4️⃣ भारत का जवाब: संतुलन की रणनीति
भारत की विदेश नीति का फोकस “संतुलन” पर है।
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भारत अमेरिका के साथ क्वाड, आईटी, रक्षा, और शिक्षा के क्षेत्र में गहराता सहयोग बना रहा है।
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वहीं रूस के साथ ऊर्जा सुरक्षा, रक्षा सौदे, और परंपरागत दोस्ती को भी बरकरार रख रहा है।
भारत ने स्पष्ट कहा है कि वह किसी के दबाव में नहीं, बल्कि अपने हितों और वैश्विक स्थिरता के अनुसार कदम उठाएगा।