7.8% की दमदार छलांग: भारत की अर्थव्यवस्था ने रफ्तार पकड़ी, त्योहारों से पहले मांग में जबरदस्त उछाल

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अप्रैल–जून तिमाही (Q1 FY26) में भारत की वास्तविक जीडीपी वृद्धि 7.8% रही, जो पाँच तिमाहियों में सबसे ऊँची है; यह तेजी मुख्यतः सेवाओं, मैन्युफैक्चरिंग और निर्माण क्षेत्र की मजबूती तथा ठोस घरेलू मांग से आई, जबकि निजी खपत, सरकारी खर्च और निवेश सभी ने योगदान दिया.

  • क्या हुआ

    • राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (NSO/MoSPI) के तिमाही अनुमान के अनुसार Q1 FY26 में वास्तविक जीडीपी 7.8% बढ़ी, जो बाजार के लगभग 6.6–6.8% अनुमानों और RBI के 6.5% प्रक्षेपण से अधिक है.

    • नाममात्र जीडीपी 8.8% बढ़कर लगभग ₹86.05 लाख करोड़ रही, जबकि वास्तविक GVA 7.6% बढ़कर ~₹44.64 लाख करोड़ रहा, जो व्यापक स्तर पर गतिविधि में सुधार दर्शाता है.

  • किसने बढ़त दिलाई

    • सेवाएँ लगभग 9.3% की तेज़ वृद्धि के साथ प्रमुख चालक रहीं; मैन्युफैक्चरिंग ~7.7% और निर्माण ~7.6% बढ़े; कृषि में ~3.7% सुधार दिखा, जबकि खनन सिकुड़ा और यूटिलिटीज़ की वृद्धि धीमी रही.

    • मांग‑पक्ष पर निजी खपत (PFCE) ~7% बढ़ी, सरकारी उपभोग ~7.4–9.7% के दायरे में रहा, और सकल स्थिर पूंजी निर्माण (GFCF) ~7.8% से निवेश गति बनी रही.

  • संदर्भ और संकेत

    • यह आँकड़ा पिछले पाँच तिमाहियों में सबसे अधिक है और भारत को प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में सबसे तेज़‑विकासशील बनाए रखता है, बावजूद वैश्विक अनिश्चितताओं और अमेरिकी टैरिफ दबाव के.

    • वित्त मंत्रालय और उच्च‑आवृत्ति संकेतक बताते हैं कि उत्सव‑मौसम के साथ घरेलू मांग और मजबूत हो सकती है, जिससे आने वाली तिमाहियों में खपत को सहारा मिलेगा.

  • क्यों मायने रखता है

    • अनुमान से ऊपर वृद्धि नीति‑निर्माताओं और उद्योग के लिए राहत है, क्योंकि यह मुद्रास्फीति नरम पड़ने, रोजगार/आय सुधार और कर रियायतों के सहारे खपत में स्थिरता दिखाती है.

    • निवेश और निर्माण की सुदृढ़ गति कैपेक्स चक्र के निरंतर रहने का संकेत देती है; हालांकि, नेट एक्सटर्नल डिमांड का योगदान नकारात्मक रहा, क्योंकि आयात वृद्धि निर्यात से तेज रही.

  • आगे की चुनौतियाँ

    • बाह्य मोर्चे पर टैरिफ, धीमी वैश्विक मांग और खनन/यूटिलिटीज़ की कमजोरी समग्र वृद्धि पर दबाव बना सकती है.

    • वर्ष के आगे के भाग में मानसून‑संबंधित कृषि जोखिम और खाद्य कीमतों की अस्थिरता खपत की गति को प्रभावित कर सकती है; परंतु शहरी‑ग्रामीण मांग में सुधार के संकेत सहारा देते हैं.

  • डेटा झलकियाँ

    • वास्तविक जीडीपी: 7.8% y/y (Q1 FY26).

    • नाममात्र जीडीपी वृद्धि: 8.8%; नाममात्र जीडीपी ~₹86.05 लाख करोड़.

    • वास्तविक GVA वृद्धि: 7.6%; सेक्टर योगदान—सेवाएँ 9.3%, मैन्युफैक्चरिंग 7.7%, निर्माण 7.6%, कृषि 3.7%, खनन −3.1%, यूटिलिटीज़ 0.5%.

    • मांग‑पक्ष: PFCE ~7%, GFCF ~7.8%, सरकारी उपभोग ~7.4–9.7%; नेट एक्सटर्नल डिमांड नकारात्मक.