Bihar मतदाता सूची विवाद: सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई और राजनीतिक हंगामा

Bihar voter list errors

Supreme Court addressing “errors” in the Bihar voter list

Bihar मतदाता सूची विवाद: सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई और राजनीतिक हंगामा

 

Bihar में मतदाता सूची के ‘विशेष गहन पुनरीक्षण’ (SIR) प्रक्रिया को लेकर विवाद गहरा गया है, जिसमें सुप्रीम कोर्ट में महत्वपूर्ण सुनवाई चल रही है। विपक्षी दलों ने मतदाता सूची में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी और लाखों योग्य मतदाताओं के नाम हटाए जाने का आरोप लगाया है, जबकि चुनाव आयोग (EC) इन आरोपों को खारिज कर रहा है।

 

  • मुख्य घटनाक्रम और आरोप:

    • सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई (12 अगस्त, 2025): सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को इस मामले पर सुनवाई की, जिसमें उसने चेतावनी दी कि अगर प्रक्रिया में कोई अवैधता साबित हुई तो वह पूरी मतदाता सूची पुनरीक्षण प्रक्रिया को रद्द कर सकता है। कोर्ट ने चुनाव आयोग से मतदाता संख्या और अन्य प्रासंगिक विवरणों पर विस्तृत डेटा तैयार रखने को कहा है। जस्टिस सूर्यकांत ने टिप्पणी की कि यह विवाद काफी हद तक चुनाव आयोग और विपक्ष के बीच “विश्वास की कमी” के कारण है। कोर्ट ने यह भी कहा कि आधार कार्ड नागरिकता का निर्णायक प्रमाण नहीं हो सकता, यह केवल पहचान का प्रमाण है।

    • चुनाव आयोग का रुख: चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि मतदाता सूची से नाम हटाने या शामिल करने के लिए नियमों के तहत दो-स्तरीय अपील तंत्र मौजूद है, जो यह सुनिश्चित करता है कि हर मतदाता के पास किसी भी प्रतिकूल कार्रवाई के खिलाफ पर्याप्त सहारा हो। आयोग ने यह भी कहा कि उसे उन नामों की अलग से सूची प्रकाशित करने की आवश्यकता नहीं है जिन्हें ड्राफ्ट मतदाता सूची में शामिल नहीं किया गया है, या उनके छूट जाने के कारणों को बताने की आवश्यकता नहीं है। चुनाव आयोग ने 1 अगस्त, 2025 को ड्राफ्ट मतदाता सूची प्रकाशित की थी।

    • विपक्ष के आरोप: राष्ट्रीय जनता दल (RJD) नेता मनोज झा सहित कई विपक्षी नेताओं ने आरोप लगाया है कि 1 अगस्त को प्रकाशित ड्राफ्ट मतदाता सूची से लगभग 65 लाख मतदाताओं को अवैध रूप से बाहर कर दिया गया है। याचिकाकर्ताओं ने यह भी सवाल उठाया है कि क्या चुनाव आयोग के पास नागरिकता निर्धारित करने का अधिकार है, क्योंकि यह अधिकार गृह मंत्रालय के पास है। तेजस्वी यादव ने आरोप लगाया है कि चुनाव आयोग “वोट की डकैती” कर रहा है और भाजपा के इशारे पर काम कर रहा है।

    • संसद में हंगामा: इस मुद्दे पर संसद में भी खूब हंगामा हुआ है, जिसमें विपक्षी इंडिया गठबंधन के नेताओं ने विरोध प्रदर्शन किया। 124 साल की एक मिंता देवी के पहली बार मतदाता सूची में दिखाए जाने जैसे मामले सामने आए हैं, जिस पर चुनाव आयोग ने तकनीकी गलती बताते हुए कहा है कि उनकी असली उम्र 35 साल है। हालांकि, राहुल गांधी ने आरोप लगाया है कि ऐसे “असीमित” मामले देशभर में सुनियोजित तरीके से हो रहे हैं।

    • दस्तावेजों पर विवाद: एक महत्वपूर्ण मुद्दा उन दस्तावेजों की सूची है जिन्हें चुनाव आयोग मतदाताओं की पहचान सत्यापित करने के लिए स्वीकार करता है। सुप्रीम कोर्ट ने पहले चुनाव आयोग से आधार, राशन कार्ड और मतदाता पहचान पत्र (EPIC कार्ड) को सत्यापन के लिए स्वीकार्य दस्तावेजों के रूप में मानने का आग्रह किया था। हालांकि, चुनाव आयोग ने कहा कि ये दस्तावेज़ नागरिकता के निर्णायक प्रमाण नहीं हैं।

    • SIR का उद्देश्य: चुनाव आयोग ने जून में Bihar में मतदाता सूची का पूर्ण पुनरीक्षण (SIR) करने का आदेश दिया था, जिसमें इसका उद्देश्य मतदाता सूची को विसंगतियों जैसे मृत मतदाताओं, Bihar डुप्लीकेट मतदाताओं, ‘अवैध अप्रवासियों’ या बाहर चले गए मतदाताओं से साफ करना बताया गया था।

 

 

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