भारत– China रिश्तों में सकारात्मक शक्ति का संचार

China India Meeting

 

SCO समिट (तियानजिन, China) में आज शी जिनपिंग और नरेंद्र मोदी की मुलाक़ात हुई, जहां दोनों पक्षों ने सीमा‑विवाद शेष रहने के बावजूद संबंधों को गहरा करने, साझेदारी की भावना से आगे बढ़ने और बहुध्रुवीय विश्व तथा एशियाई शांति‑समृद्धि के लिए सहयोग बढ़ाने पर जोर दिया.

  • मुलाक़ात के प्रमुख संदेश

    • शी जिनपिंग ने कहा कि China‑भारत “प्रतिद्वंदी नहीं, साझेदार” हैं; दोनों एक‑दूसरे के लिए ख़तरा नहीं बल्कि विकास के अवसर हैं, और सीमा मुद्दा समग्र रिश्तों पर हावी नहीं होना चाहिए.

    • प्रधानमंत्री मोदी ने दो‑टूक कहा कि भारत, China के साथ रिश्ते “आपसी सम्मान, विश्वास और संवेदनशीलता” के आधार पर आगे बढ़ाना चाहता है; बॉर्डर क्षेत्रों में शांति‑स्थिरता की आवश्यकता को भी रेखांकित किया गया.

  • संदर्भ: पहली China यात्रा, बदलती भू‑राजनीति

    • यह मोदी की सात वर्षों में पहली China यात्रा है; मुलाक़ात ऐसे समय हुई जब अमेरिका ने हाल ही में भारतीय निर्यात पर बड़े टैरिफ लगाए हैं, जिसे विश्लेषक बीजिंग‑नई दिल्ली समीकरण में नई निकटता का कारक मान रहे हैं.

    • 2020 के लद्दाख तनाव और 2024 की सीमा समायोजन प्रगति के बाद, दोनों पक्ष संबंध “रीसेट” की दिशा में हैं; हालिया वांग यी की भारत यात्रा में सीमा शांति, बॉर्डर ट्रेड और डायरेक्ट फ़्लाइट्स की बहाली जैसी पहलें आगे बढ़ीं.

  • आधिकारिक ब्रीफिंग/लाइव अपडेट्स

    • भारतीय विदेश मंत्रालय की स्पेशल ब्रीफिंग के अनुसार, मोदी‑शी ने विकास‑केंद्रित एजेंडा पर सहमति जताई और “एशियन सेंचुरी” व बहुध्रुवीय व्यवस्था में भारत‑China सहयोग की अहमियत दोहराई.

    • NDTV/ToI लाइव अपडेट्स में बताया गया कि यह कज़ान (2024) के बाद एक वर्ष में दूसरा शिखर‑स्तरीय संवाद है; कार्यक्रम 31 अगस्त–1 सितंबर को तियानजिन में हो रहा है और पुतिन सहित 20+ देशों के नेता शिरकत कर रहे हैं.

  • शी जिनपिंग के प्रस्तावित कदम

    • रणनीतिक संचार और परस्पर विश्वास बढ़ाना, पारस्परिक लाभ के लिए विनिमय‑सहयोग विस्तार, एक‑दूसरे की चिंताओं का समुचित खयाल, और बहुपक्षीय मंचों पर समन्वय—ये चार कदम शी ने सुझाए.

    • उन्होंने बहुपक्षवाद को मज़बूत करने, वैश्विक न्याय‑निष्पक्षता की रक्षा करने और एशिया व विश्व में शांति‑समृद्धि हेतु चीन‑भारत की “भागीदार” भूमिका को रेखांकित किया.

  • भारत की प्राथमिकताएँ

    • मोदी ने कहा कि भारत‑चीन संबंध “तीसरे देश के चश्मे” से नहीं देखे जाने चाहिए; व्यापार में पारदर्शिता‑पूर्वानुमेयता, व्यापार घाटा कम करना, और निष्पक्ष व्यापार के मुद्दे उठे.

    • सीमावर्ती इलाकों में शांति, संवेदनशील मुद्दों पर आपसी संवेदनशीलता, और व्यक्ति‑से‑व्यक्ति संपर्क बढ़ाने के एजेंडा पर प्रगति को रेखांकित किया गया.

  • SCO समिट का व्यापक परिदृश्य

    • SCO के मंच पर अमेरिका‑केंद्रित टैरिफ/ट्रेड तनाव, यूक्रेन युद्ध की पृष्ठभूमि में रूस‑चीन तालमेल, और “ग्लोबल साउथ” एकजुटता जैसी थीम प्रमुख रहीं.

पुतिन का तियानजिन आगमन और चार‑दिवसीय चीन दौरा रिश्तों की “स्थिर, परिपक्व, रणनीतिक” प्रकृति का संकेत है; मॉस्को‑बीजिंग ने पश्चिमी “भेदभावपूर्ण” प्रतिबंधों का विरोध

    •  दोहराया.