विकसित भारत की दिशा: भाजपा कार्यशाला में PM Narendra Modi का प्रेरक नेतृत्व

Narendra Modi

भाजपा सांसदों की दो दिवसीय संसदीय कार्यशाला संसद परिसर में शुरू हुई, जिसमें प्रधानमंत्री Narendra Modi ने एक सामान्य सांसद की तरह शिरकत की और चर्चा का फोकस संसदीय रणनीति, 2047 तक विकसित भारत, और उपराष्ट्रपति चुनाव से पहले प्रक्रियात्मक तैयारी पर रहा.

  • क्या, कब और कहाँ

    • कार्यशाला दिल्ली के संसद परिसर/जीएमसी बालयोगी ऑडिटोरियम में 7-8 सितंबर को आयोजित हो रही है, जिसमें सभी भाजपा सांसद और शीर्ष नेतृत्व शामिल हैं.

    • यह दो दिवसीय कार्यक्रम उपराष्ट्रपति चुनाव से पहले सांसदों के प्रशिक्षण और संसदीय कार्यप्रणाली को सुदृढ़ करने के लिए डिज़ाइन किया गया है.

  • पीएम  Narendra Modi  की भागीदारी

    • प्रधानमंत्री Narendra Modi पूरे दिन सत्रों में बैठे और कई रिपोर्ट्स में उन्हें पिछली पंक्ति में आम सांसद की तरह बैठकर सत्र सुनते हुए दिखाया गया, जिसे पार्टी संस्कृति का संकेत माना गया.

    • कार्यक्रम में जीएसटी सुधारों के लिए PM Narendra Modi का सम्मान भी निर्धारित था, जिसे कई मंचों पर प्रमुख बिंदु के तौर पर रेखांकित किया गया.

  • प्रमुख एजेंडा विषय

    • विकसित भारत 2047, सोशल मीडिया का प्रभावी उपयोग, निर्वाचन क्षेत्रों में जनसंपर्क, और विपक्षी नैरेटिव का प्रत्युत्तर जैसे विषय केंद्र में रहे.

    • सत्रों में कृषि, रक्षा, शिक्षा, ऊर्जा, रेलवे और परिवहन सहित नीति-आधारित मुद्दों पर अलग-अलग समितियों में चर्चा हुई.

  • प्रशिक्षण और प्रक्रिया

    • सांसदों को संसदीय नियम, सत्र प्रबंधन, और आगामी उपराष्ट्रपति चुनाव के मतदान-प्रक्रिया पर मॉक ड्रिल/ट्रेनिंग दी जा रही है.

    • केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने बताया कि कार्यक्रम व्यवस्थित रूप से चल रहा है और क्रमवार प्रशिक्षण मॉड्यूल तय किए गए हैं.

  • संदर्भ और निर्णय

    • 8 सितंबर को एनडीए सांसदों के लिए प्रस्तावित डिनर बाढ़ जैसी परिस्थितियों के मद्देनजर स्थगित/रद्द किया गया, जिससे संवेदनशीलता का संदेश गया.

    • कार्यशाला में जीएसटी सुधार, ईज ऑफ डूइंग बिज़नेस और युवाओं के रोजगार जैसे मुद्दों पर संदेश-संप्रेषण को तेज करने की रूपरेखा बनी.

  • क्या आगे

    • दूसरे दिन उपराष्ट्रपति चुनाव की प्रक्रिया पर विशेष फोकस, मॉक वोटिंग और रणनीतिक ब्रीफिंग प्रस्तावित हैं.

    • पार्टी नेतृत्व ने इसे एक सीख-साझा मंच बताया, जहां सांसद एक-दूसरे से सीखकर जनसेवा को अधिक प्रभावी बनाने की योजना बनाते हैं

 

 

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