पहली 5 ‘Bhairav’ बटालियनें तैयार, रैपिड रिस्पॉन्स को नई शक्ति

Operation Bhairav

भारतीय सेना “Bhairav” लाइट कमांडो बटालियन की पहली पाँच इकाइयाँ खड़ी कर रही है, जिनका उद्देश्य पाकिस्तान और चीन सीमाओं पर तेज़, उच्च‑प्रभाव वाली कार्रवाइयों के लिए फुर्तीली क्षमता बनाना और स्पेशल फोर्सेज़ को रणनीतिक मिशनों के लिए मुक्त करना है.

  • क्या हुआ

    • योजना के तहत शुरुआती पाँच “Bhairav” बटालियन 31 अक्टूबर तक मैदान में लाने का लक्ष्य रखा गया है; आगे चलकर कुल लगभग 23 इकाइयाँ “सेव‑एंड‑रेज़” मॉडल से मौजूदा इन्फैंट्री से ही निकाली जाएँगी, अतिरिक्त जनशक्ति नहीं जोड़ी जाएगी.

    • इन पाँच में से तीन उत्तरी कमान (उधमपुर) के अधीन—14 कोर (लेह), 15 कोर (श्रीनगर) और 16 कोर (नग्रोता) में—जबकि एक‑एक पश्चिमी रेगिस्तानी और पूर्वी पहाड़ी सेक्टर के लिए प्रस्तावित हैं/तैनाती की तैयारी में हैं.

  • आकार और संरचना

    • प्रत्येक “Bhairav” बटालियन ~250 चयनित कमांडो की छोटी, फुर्तीली इकाई होगी, जो मानक इन्फैंट्री (~800) से छोटी है; उद्देश्य इन्फैंट्री और पारा स्पेशल फोर्सेज़ के बीच का गैप भरना है.

    • सेना की 415 इन्फैंट्री बटालियनों से इनका चयन/प्रशिक्षण किया जा रहा है ताकि स्पेशल फोर्सेज़ (10 Para‑SF और 5 Para Airborne) को अधिक जटिल कार्यों पर केंद्रित किया जा सके.

  • मिका और क्षमताएँ

    • मिशन प्रोफ़ाइल: तेज़ स्ट्राइक, रैपिड इनफिल्ट्रेशन, रेक्की, बाधा/विघटन ऑपरेशन, बंकर‑बस्टिंग, एंटी‑टैंक और सीमापार हिट‑एंड‑रन जैसी टैक्टिकल कार्रवाइयाँ.

    • उपकरण: नवीनतम हथियार, नाइट‑ऑप्टिक्स, ड्रोन/यूएवी, अत्याधुनिक सर्विलांस; महिंद्रा Armado जैसी लाइट स्पेशलिस्ट व्हीकल्स, एंटी‑टैंक मिसाइल, 81/120 मिमी वाहन‑माउंटेड मोर्टार की एकीकरण क्षमता बताई गई है.

  • कहां तैनाती

    • प्रारंभिक तीन इकाइयाँ उत्तरी सेक्टर में LAC/LoC के संवेदनशील इलाकों के हिसाब से; शेष दो—एक पश्चिमी मरुस्थल, एक पूर्वोत्तर/पूर्वी पहाड़ी क्षेत्र में—स्थलाकृति‑अनुकूल भूमिका के साथ.

    • इनसे कोर/कमांड स्तर पर त्वरित‑प्रतिक्रिया और उच्च‑प्रभाव वाली कार्रवाई की “ऑन‑कॉल” क्षमता बढ़ेगी, जिससे Para‑SF की रणनीतिक उपलब्धता बेहतर होगी.

  • बड़े सैन्य पुनर्गठन का हिस्सा

    • “Bhairav” के साथ “रुद्र” ऑल‑आर्म्स ब्रिगेड, “शक्तिबान” आर्टिलरी और “दिव्यास्त्र” बैटरियाँ जैसी पहलों के संगठित ढांचे से सेना की फुर्ती, एकीकृत युद्धक क्षमता और सटीक प्रहार की संभावनाएँ बढ़ रही हैं.

    • सैन्य विश्लेषकों के अनुसार “Bhairav” 20–30 सदस्यीय “घातक” पलटनों और Para‑SF के बीच का अंतर पाटकर कोर‑कमांडरों को तेज़, उपलब्ध विकल्प देता है, जिससे सीमापार व्यवधान और टेरर‑न्यूट्रलाइजेशन जैसे कार्यों में प्रभाव बढ़ता है.

  • क्यों महत्वपूर्ण

    • दो‑फ्रंट चुनौती (पाकिस्तान‑चीन) के परिप्रेक्ष्य में त्वरित‑प्रतिक्रिया, उच्च‑गतिशीलता और टेक‑इनेबल्ड यूनिट्स की ज़रूरत—“Bhairav” उसी आवश्यकता की पूर्ति करता है.

    • मौजूदा बल संरचना से ही उभारने के “सेव‑एंड‑रेज़” मॉडल से लागत/लॉजिस्टिक्स प्रबंधन में दक्षता, और समग्र युद्ध‑तैयारी में तेज़ सुधार संभव है.