विपक्ष का ‘वोट चोरी’ पर हल्ला बोल: Rahul Gandhi और Akhilesh के नेतृत्व में चुनाव आयोग तक मार्च, कई नेता हिरासत में
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नई दिल्ली, 11 अगस्त, 2025
- सोमवार को इंडिया गठबंधन के प्रमुख विपक्षी नेताओं, जिनमें कांग्रेस नेता Rahul Gandhi और समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव शामिल थे, ने नई दिल्ली में भारत के चुनाव आयोग (ECI) के खिलाफ एक विशाल विरोध मार्च का नेतृत्व किया। यह विरोध प्रदर्शन 2024 के लोकसभा चुनावों में बड़े पैमाने पर “वोट चोरी” के आरोपों और बिहार में विवादास्पद मतदाता सूची संशोधन को लेकर किया गया। पुलिस द्वारा बैरिकेड लगाकर रोके जाने के बाद अखिलेश यादव समेत कई नेताओं को हिरासत में ले लिया गया, जिससे स्थिति तनावपूर्ण हो गई।
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क्या हैं “वोट चोरी” के आरोप?
- इस विरोध का मुख्य आधार कांग्रेस नेता Rahul Gandhi द्वारा शुरू किया गया “वोट चोरी” (Vote Chori) अभियान है। इस अभियान में मतदाता सूचियों में हेरफेर के माध्यम से बड़े पैमाने पर चुनावी धोखाधड़ी का आरोप लगाया गया है। विपक्ष के दावों के केंद्र में कर्नाटक का बैंगलोर सेंट्रल निर्वाचन क्षेत्र है।
- Rahul Gandhi द्वारा लगाए गए प्रमुख आरोप इस प्रकार हैं:
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बड़े पैमाने पर धोखाधड़ी: उन्होंने दावा किया कि एक विश्लेषण से “बहुत बड़े आपराधिक धोखाधड़ी” का पता चला है। आरोप है कि अकेले बैंगलोर सेंट्रल के महादेवपुरा विधानसभा क्षेत्र में 100,250 से अधिक वोट “चोरी” किए गए, जिससे भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को यह सीट जीतने में मदद मिली।
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हेरफेर के तरीके: आरोप है कि यह धोखाधड़ी डुप्लीकेट मतदाताओं, अमान्य पतों (जैसे “मकान नंबर 0”), एक ही पते पर 80 मतदाताओं तक के सामूहिक पंजीकरण और नए मतदाताओं के लिए बने फॉर्म 6 के दुरुपयोग के माध्यम से की गई।
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पारदर्शिता की मांग: विपक्ष ने
votechori.inनाम से एक वेबसाइट भी लॉन्च की है। उनकी मांग है कि चुनाव आयोग डिजिटल और मशीन-पठनीय (machine-readable) मतदाता सूची जारी करे ताकि जनता और राजनीतिक दल इसका ऑडिट कर सकें। इसके जवाब में, चुनाव आयोग ने Rahul Gandhi से औपचारिक कार्यवाही शुरू करने के लिए शपथ पत्र के तहत अपने सबूत जमा करने को कहा है।
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बिहार की मतदाता सूची का मुद्दा क्यों गरमाया?
- विरोध का दूसरा बड़ा कारण बिहार में चल रहा मतदाता सूचियों का विशेष गहन संशोधन (Special Intensive Revision – SIR) है। राज्य में नवंबर में विधानसभा चुनाव होने हैं, और विपक्ष का तर्क है कि इस प्रक्रिया से बड़ी संख्या में मतदाता अपने मताधिकार से वंचित हो सकते हैं। उनकी मुख्य चिंताएँ हैं:
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जल्दबाजी में कार्यान्वयन: यह संशोधन बहुत तेजी से किया जा रहा है, जिससे नागरिकों को गलतियों को सुधारने के लिए बहुत कम समय मिल रहा है।
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कठोर दस्तावेज़ीकरण:
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- प्रक्रिया में जन्म प्रमाण पत्र और पासपोर्ट जैसे दस्तावेजों की आवश्यकता बताई जा रही है, जिन्हें बिहार जैसे राज्य में, जहाँ साक्षरता दर अपेक्षाकृत कम है, कई लोगों के लिए प्रस्तुत करना मुश्किल है।
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भाजपा का पलटवार
- विपक्ष के इन आरोपों पर भाजपा ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कांग्रेस (Rahul Gandhi) पर “रोज झूठ का नया पहाड़ खड़ा करने” का आरोप लगाते हुए विपक्ष(Rahul Gandhi) के दावों को निराधार बताया है। भाजपा का कहना है कि विपक्ष अपनी चुनावी हार को पचा नहीं पा रहा है और इसलिए बेबुनियाद आरोप लगाकर लोकतांत्रिक संस्थानों की विश्वसनीयता को कम करने की कोशिश कर रहा है।
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